मीठी यादें बचपन की...
मीठी यादें बचपन की...
आप-हम कभी भुलाना पाए ऐसे हसमुख पलोंकी
दादी की गोद में खिलतिं थी राजा-रानी की कहानी
बहादुरोंकी वीरता हम सुनते थे दादाजी की जुबानी
माँ का आँचल तब बन जाती थी ढाल
पिताजी के घुस्से से जब डर जाता था काल
दोस्तोंसे हुए झगडे पल में सुलझते थे
भाई-बेहेन के राज़ जुबान तक आकर बड़ी मुश्किलसे लौट जाते थे
मासूमीयत से भरी शरारात और मस्ती थी अनमिट
खुशी और गम के दायरे हुआ करते थे सिमित
लेकर इन मासूम यादोंको लो हम दोहोरायें...
मीठी यादें बचपन की...
- कुसुमांजली
आप-हम कभी भुलाना पाए ऐसे हसमुख पलोंकी
दादी की गोद में खिलतिं थी राजा-रानी की कहानी
बहादुरोंकी वीरता हम सुनते थे दादाजी की जुबानी
माँ का आँचल तब बन जाती थी ढाल
पिताजी के घुस्से से जब डर जाता था काल
दोस्तोंसे हुए झगडे पल में सुलझते थे
भाई-बेहेन के राज़ जुबान तक आकर बड़ी मुश्किलसे लौट जाते थे
मासूमीयत से भरी शरारात और मस्ती थी अनमिट
खुशी और गम के दायरे हुआ करते थे सिमित
लेकर इन मासूम यादोंको लो हम दोहोरायें...
मीठी यादें बचपन की...
- कुसुमांजली
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