इन्द्रधनुष
इन्द्रधनुष के दरबार में सज रही…सप्त रंग की मेह्फ़ील ।
कौन किसकी पहचान है बनता…ये कहना है मुश्कील ।
लाल रंग में झलक रही है…वीरता की परछाई ।
सिंदूरी रंग से उमड़ आयी है…शाम की अंगडाई ।
सूरज की तपती कीरणोंने…ओढ़ लिया है पीला आँचल ।
हरे रंग में सवरताँ जाए…श्रृष्ति का नव-यौवन ।
अंबर नेहलाकर आस्मानी…ढ़ुंढ़ रहा अपनी परिसीमा ।
फूल-फलों तक रह गयी सीमित…बैंगनी रंग की गरीमा ।
यह रंग होली की जान बने…या बने रंगोली की तकदीर ।
पर जब मिलकर सामने आए तो बन जाए सुंदर श्वेत लकीर।
- कुसुमांजली
कौन किसकी पहचान है बनता…ये कहना है मुश्कील ।
लाल रंग में झलक रही है…वीरता की परछाई ।
सिंदूरी रंग से उमड़ आयी है…शाम की अंगडाई ।
सूरज की तपती कीरणोंने…ओढ़ लिया है पीला आँचल ।
हरे रंग में सवरताँ जाए…श्रृष्ति का नव-यौवन ।
अंबर नेहलाकर आस्मानी…ढ़ुंढ़ रहा अपनी परिसीमा ।
फूल-फलों तक रह गयी सीमित…बैंगनी रंग की गरीमा ।
यह रंग होली की जान बने…या बने रंगोली की तकदीर ।
पर जब मिलकर सामने आए तो बन जाए सुंदर श्वेत लकीर।
- कुसुमांजली
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