खौफ़
हम दिल में खुशीको पनाह दे भी दे…
लेकिन खौफ़ रहता है…बेवक्त दीवारोंके ढ़ेह जाने का
हम चार कदम मंजिल की तरफ़ बढ़ा तो ले…
लेकिन खौफ़ रहता है…जिंदगीके बेमतलब बीत जाने का
हम उनकी आँखोंके समुंदर में ख़ुद को डुबो तो ले…
लेकिन खौफ़ रहता है…पैमाना बेवजह छलक जाने का
हम आपसे इजहारे मोहब्बत कर तो ले…ए सनम…
लेकिन खौफ़ रहता है…एक किसी बेज़ुबांकि तौहीन होने का
हम दर्द का साया हटा तोह दे इस दिल से…
लेकिन खौफ़ रहता है…टूट के बिखर जाने का
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