होते अगर हम…
होते अगर हम...सावन की बदली
करते हम अक्सर देश-बिदेश की सैर...
पहाडोंसे गले मिलनेका आनंद हम उठाते...
बरसते धरती पर…
करते पूरा नादिया से सागर तक का सफर...
लेने दुबारा सावन की बदली का रूप.
होते अगर हम... किसी बगिया का फूल
अमर हम हो जाते बनकर भगवानके चरणोंकी धूल
या किसीकी मजार पर रुकते बनकर बिंती यादों का शूल
होते अगर हम... एक चमकता सिंतारा
मुठी में कर लेते आसमान सारा
सूरज की हस्ती को ललकारते हम
और चंदा को करते चुपकेसे इशारा
‘एक तुम्ही हो केवल सूरज हमारा’
‘एक तुम्ही हो केवल सूरज हमारा’
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