मेरा पहला सेलफोन
मन में आज यह इच्छा है जागी…अपने पास भी हो एक सेलफोन
तो तै कर लिया…पर बात अडी मॉडल पर…कौनसा ले
नोकिया, मोटोरोला या सँमसंग
एक पसंद आया…बड़ा ही लुभावना…सर्व गुणसंपन्न…हमारी शान में चार-चाँद लगानेवाला
जेब की तिजोरी टटोली..अब ‘चार चाँद’ वाली शान दुकानदार की मेज पर ही ज़च रही थी
सेलफ़ोन तो सिर्फ़ एक चलता फिरता फ़ोन होना है…यह सोचकर…अपने आप को समझाया
दिल पर पत्थर रख…एक बजेंट में बैठने वाला ठीक-ठाकसा मॉडल उठाया
सेलफ़ोन में अब जान डालने का समय आ गया
‘छोटी उम्र’-‘लंबी उम्र’ की मुटभेड में खामखाँ अपना वक्त गवायाँ
अंत में एक्टिवेट कर ही लिया…’प्री-पेड’('छोटी उम्र’वाला)ही सही
दोस्तोंको खबर दी…रिश्तेदारोंको बताया…
अब हमारे पास भी है एक सेलफ़ोन…कृपया नम्बर नोट कर लिजीये
सभीने बधाई दी…और कहा..वाहवा!!! अब तो आपको किसी भी वक्त…कही पर भी ट्रक किया जा सकता है
यह सुनकर हम ज़रा सावधान हुए
अब हाथों में ले यह ‘छोटासा बालमा'…शान से घूम रहे हम इस दुनिया के गलियों में
घड़ी घड़ी निहार रहे फ़ोन को…आख़िर कब बजेगी इसकी घंटी
यह सोचने का आवकाश की घंटी गूंज उठी
हम फुले नही समाये…तुरंत उठालिया सेल फ़ोन…एक गहरी साँस ली…कुछ ‘फील गुड’ हुआ…सब हमारी तरफ़ देख जो रहे थे.
अरे! पर यह क्या हो रहा है…हमारी सेलफ़ोन की घंटी बजने पर …बगल में खड़ी बाला का हाथ खुदके श्रवणेंद्रिंयोंपर क्यों कर आ ठहरा है?
होश संभाला…अब सेल फ़ोन वापस जेब में…और अपनी शर्मिंदगी से बचने के लिए हम अख़बार की चपेट में…
तभी मन में ख्याल आया…काश न होता हमारे पास यह सेलफोन…काश न होता हमारे पास यह सेलफोन.
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