मै ख़ुद में ही, ए खुदा, तुझे ढूँढता हूँ...

मै ख़ुद में ही, ए खुदा, तुझे ढूँढता हूँ...
दायर-ओ-हरम का मजमा नही देता कोई गवाही
मुझे-तुझे मिला दे वो मम्बा ढूँढता हूँ

ना पा सका तुझे मै बहर-ओ-बार की हद तक
हर तलाश हुई नाकाम अर्श-ओ-फर्श की गहराईओं तक

तेरा एहसास जगाकर मेरा वजूद जो मिटादे
उस अज़ान का मै अब इंतज़ार करता हूँ
मै ख़ुद में ही, ए खुदा, तुझे ढूँढता हूँ...

No comments: