क्यूँ याद आता है...
क्यूँ याद आता है वो गुजरा हुआ ज़माना
दो धड़कते दिलोंका का खामोषसा अफसाना
आएँ थे नज़र में, जगी दिल में थी कसक
सुलगी हुई थी सांसें, कदम गए थे बेहेक
अब ना तो वो मंजर है, खो गया हमसफ़र है
आज फिर अकेला चला गम-ऐ-दिल जीवन डगर है
क्यूँ याद आता है वो गुजरा हुआ ज़माना
दो धड़कते दिलोंका का खामोषसा अफसाना
आएँ थे नज़र में, जगी दिल में थी कसक
सुलगी हुई थी सांसें, कदम गए थे बेहेक
अब ना तो वो मंजर है, खो गया हमसफ़र है
आज फिर अकेला चला गम-ऐ-दिल जीवन डगर है
Labels: शेर-O-शायरी
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