ऐ जाना...
हर शक्स से तेरा अब पता पूछता हूँ
मेरे दिल के बेहेलने की वो वजह ढुंढता हूँ
धुंदले है सितारे, रोशनीके नही सहारे
जो दिन में निकल आए ऐसा चांद खोजता हूँ
ना रहे मन पे काबू, ना रहे होश बाकि
तेरी पहचान की खातिर, ऐ जाना, अब खुदको भूलता हूँ
हर शक्स से तेरा अब पता पूछता हूँ
मेरे दिल के बेहेलने की वो वजह ढुंढता हूँ
धुंदले है सितारे, रोशनीके नही सहारे
जो दिन में निकल आए ऐसा चांद खोजता हूँ
ना रहे मन पे काबू, ना रहे होश बाकि
तेरी पहचान की खातिर, ऐ जाना, अब खुदको भूलता हूँ
Labels: शेर-O-शायरी
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